भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का इतिहास, उद्देश्य व प्रमुख केंद्र: भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम डॉ विक्रम साराभाई की संकल्पना है, जिन्हें भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा गया है। डॉ. विक्रम साराभाई इसरो के पहले चैयरमेन थे। वे वैज्ञानिक कल्पना एवं राष्ट्र-नायक के रूप में जाने गए। वर्तमान प्रारूप में इस कार्यक्रम की कमान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के हाथों में है। जी माधवन नायर इसरो के वर्तमान चेयरमैन हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का इतिहास: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय कर्नाटक प्रान्त की राजधानी बंगलुरू में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना 1969 में की गई। भारत सरकार द्वारा 1972 में ‘अंतरिक्ष आयोग’ और ‘अंतरिक्ष विभाग’ के गठन से अंतरिक्ष शोध गतिविधियों को अतिरिक्त गति प्राप्त हुई। ‘इसरो’ को अंतरिक्ष विभाग के नियंत्रण में रखा गया।
संस्थान में लगभग 17,000 कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का उद्देश्य:
- इसरो का उद्देश्य है, विभिन्न राष्ट्रीय कार्यों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उसके उपयोगों का विकास।
- इसरो ने दो प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियाँ स्थापित की हैं- (1) संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम विज्ञानीय सेवाओं के लिए इन्सैट। (2) संसाधन मॉनीटरन तथा प्रबंधन के लिए भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (आईआरएस)।
- इसरो ने इन्सैट और आईआरएस उपग्रहों को अपेक्षित कक्षा में स्थापित करने के लिए पीएसएलवी और जीएसएलवी, दो उपग्रह प्रमोचन यान विकसित किए हैं।
- तदनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दो प्रमुख उपग्रह प्रणालियाँ, यथा संचार सेवाओं के लिए भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) और प्राकृतिक संपदा प्रबंधन के लिए भारतीय सुदूर संवेदन (आईआरएस) का, साथ ही, आईआरएस प्रकार के उपग्रहों के प्रमोचन के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पीएसएलवी) और इन्सैट प्रकार के उपग्रहों के प्रमोचन के लिए भूस्थिर उपग्रह प्रमोचन यान (जीएसएलवी) का सफलतापूर्वक प्रचालनीकरण किया है।
इसरो के प्रमुख केंद्र:
केंद्र | स्थान |
पश्चिमी आरआरएसएससी | जोधपुर |
सौर वेधशाला | उदयपुर |
इनसैट मुख्य नियंत्रण सुविधा | भोपाल |
अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, विकास और शैक्षिक संचार यूनिट | अहमदाबाद |
अंतरिक्ष आयोग, अंतरिक्ष विभाग, इसरो मुख्यालय, इनसेट कार्यक्रम कार्यालय, सिविल इंजीनियरिंग प्रभाग, अंतरिक्ष कारपोरेशन, इसरो उपग्रह केंद्र, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र, इस्टै्रक, दक्षिणी आरआरएसएससी, एनएनआरएमएस सचिवालय | बैंगलोर |
इनसैट मुख्य नियंत्रण सुविधा | हासन |
अमोनियम प्रक्लोरेट प्रायोगिक संयंत्र | अलुवा |
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र, इसरो जड़त्वीय प्रणाली केंद्र | तिरुवनंतपुरम |
भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, उत्तरी आरआरएसएससी | देहरादून |
अंतरिक्ष विभाग शाखा सचिवालय, इसरो शाखा कार्यालय, दिल्ली पृथ्वी स्टेशन | नई दिल्ली |
इस्ट्रैक भू-केंद्र | लखनऊ |
पूर्वी आरआरएसएससी | खड़गपुर |
मध्य आरआरएसएससी | नागपुर |
राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी | हैदराबाद |
एनएमएसटी रडार सुविधा | तिरुपति |
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, शार केंद्र | श्रीहरिकोटा |
द्रव नोदन जांच सुविधा केंद्र | महेंद्रगिरि |
भारत में अंतरिक्ष प्रोद्योगिकी:
- भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्रारंभ 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति के गठन से हुआ।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) कि स्थापना 1969 को हुई।
- एंट्रिक्स (1982 में स्थापित) इसरो कि व्यावसायिक इकाई है जो भारत कि अंतरिक्ष क्षमताओं के विपणन का कार्य करने वाली केन्द्रीय एजेंसी है।
- वर्ष 1972 अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग के गठन से शोध कार्यों को गति मिली।
- 19 अप्रैल 1975 को भारत के प्रथम उपग्रह “आर्यभट्ट” का प्रक्षेपण करभारत विश्व का 11वाँ देश बना।
- भारत द्वारा भास्कर-1 उपग्रह का प्रक्षेपण “पृथ्वी के सर्वेक्षण” के लिए1979 में किया गया।
- उपग्रह प्रक्षेपण के मूल उद्देश्य 1) दूर संवेदन का विकास करना 2)संचार व्यवस्था को जन सामान्य के लिए सुलभ बनाना।
- भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इनसैट) एक बहुउद्देशीय तथा बहुप्रयोजनीय उपग्रह प्रणाली है जिसका उपयोग मुख्यतः घरेलु दूरसंचार, मौसम कि जानकारी, आकाशवाणी, और दूरदर्शन के प्रसारण के लिए किया जाता है।
- इनसैट श्रेणी का प्रथम उपग्रह इनसैट-1ए का प्रक्षेपण अप्रैल 1982 को अमरीका के डेल्टा यान द्वारा किया गया।
- अप्रैल 1984 को भारत कि ओर से चाँद पर जाने वाले प्रथम व्यक्ति“स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा” थे।
- उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित करने के लिए प्रक्षेपणयानों का प्रयोग होता है। भारत में सर्वप्रथम एस.एल.वी-3 प्रक्षेपणयान का विकास हुआ जिसके माध्यम से वर्ष 1980 को रोहणी उपग्रह प्रक्षेपित किया। वर्तमान में जी.एस.एल.वी और पी.एस.एल.वी प्रक्षेपणयानों के विभिन्न संस्करण कार्यरत है।
- क्रायोजनिक इंजन: अतिनिम्न तापमान पर भरे गए प्रणोदक (ईंधन) का उपयोग करने वाले इंजन को क्रायोजनिक इंजन कहा जाता है। स्वदेशी तकनीक से विकसित प्रथम क्रायोजनिक इंजन का परिक्षण फरवरी 2002 में किया गया।
- सुदूर संवेदन तकनीक: वैज्ञानिक उपागमों का ऐसा व्यवस्थित समूह जिसमे किसी वस्तु को स्पर्श किये बिना विकीर्णन तकनीक द्वारा पृथ्वी कि सतह एवं सतह के भीतर की विश्वसनीय भौगोलिक जानकारी एकत्रित कि जाती है।
- मैटसेट (कल्पना-1): मैटसेट (कल्पना-1) उपग्रह का प्रक्षेपण पी.एस.एल.वी.सी-4 यान द्वारा मौसम के पर्यवेक्षण के लिए वर्ष 2002 में किया।
- रिसोर्ससेट–1: पी.एस.एल.वी.सी5 अंतरिक्षयान द्वारा दूर संवेदन के क्षेत्र में रिसोर्ससेट उपग्रह भेजा गया।
- एडुसैट: जनवरी 2004 को जी.एस.एल.वी यान से प्रक्षेपित इस उपग्रह द्वारा शैक्षिक विकास को बढ़ावा दिया गया।
- कार्टोसैट: पी.एस.एल.वी-सी6 द्वारा मई 2005 में प्रक्षेपित इस उपग्रह का मुख्य उद्देश्य सुदूर संवेदन द्वारा प्राप्त चित्रों से मानचित्र का निर्माण करना था।
- चंद्रयान-1: अक्टूबर 2008 में पी.एस.एल.वी: सी11 द्वारा चन्द्रमा में प्रक्षेपित इस उपग्रह से चन्द्रमा के तल पर भविष्य कि संभावनाओं को बल मिला।
- ओशनसैट: समुद्री अनुसन्धान के लियर प्रक्षेपित इस उपग्रह को सितम्बर 2009 में स्थापित किया गया।
- 22 अक्टूबर 2006 को चन्द्रयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
- आदित्य-एल1 एक अंतरिक्ष यान जिसका मिशन सूर्य का अध्ययन करने के लिए है। यह जनवरी 2008 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए सलाहकार समिति द्वारा अवधारणा किया गया था। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और विभिन्न भारतीय अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोग से डिजाइन और बनाया जाएगा। यह 2019-2020 के आसपास इसरो द्वारा लांच किया जाएगा। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा।
- 5 नवम्बर 2013 को मंगलयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।