*नगरपालिका के चुनाव में जनता हमेशा मेरा साथ देती रही है। अरशद जमाल*
*पिछले 17 साल से मऊ के चेयरमैन पद पर सपा का ही है कब्ज़ा*

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  मऊनाथ भंजन- आगामी नगर पालिका चुनाव का बिगुल बज गया  है अल्लाह का बेपनाह शुक्र और मऊ की अवाम का एहसान है के चेयरमैन का चुनाव हो या वार्ड सभासद का पिछले 22 सालों से खुद लड़ा या किसी को लड़ाया, वही जीता।

इतना ही नही इन 22 सालों में चेयरमैन पद के लिए भी जिसे सपोर्ट किया, खुद लड़ा या बीवी को लड़ाया फैसला अपने ही हक़ में रहा नीचे डिटेल्स दे रहा हूँ..
1995 में सभासद का चुनाव लड़ा जीत गया राना खातून को सपोर्ट किया वो चेयरमैन बन गयीं

2000 में खुद चेयरमैन का चुनाव लड़ा और अल्लाह के करम से चुनाव जीतकर चेयरमैन बना।
बसपा से अबूबकर अंसारी साहब तीसरे नंबर पर गए जबकि उनको बसपा और विधायक जी दोनो की हिमायत हासिल थी।


2006 के चुनाव में मेरी पार्टी ने मेरा टिकट काटकर तय्यब पालकी को दे दिया, मैंने और विधायक जी दोनो ने मिलकर पालकी साहब की हिमायत की वो चुनाव जीते।इस चुनाव में पालकी साहब को मेरे वार्ड से सबसे ज़्यादा वोट मिले.
2012 में मैं सभासद का चुनाव लड़ा, जितने वोट से मैं चुनाव जीता उतना वोट किसी भी सभासद को नही मिला।
2012 में ही मेरी पत्नी शाहीना चेयरमैन का चुनाव लड़ी और कामयाब हुई विधायक जी की प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रही, तय्यब पालकी की अहलिया चौथे नम्बर पर रही और भाजपा के साथ उनकी भी जमानत ज़ब्त हुई। ज्ञातब्य हो कि इस चुनाव में समाजवादी पार्टी का अधिकतर वोट तय्यब पालकी की अहलिया को ही गया था, वजह ये थी कि सपा के पूर्व प्रत्याशी अल्ताफ अंसारी और जिलाध्यक्ष साधु यादव पालकी के साथ थे। रज़िया को मीले 17000 वोटो में से अधिकतम सपा का ही वोट था। 🌑पिछले 22 सालों मे नगरपालिका के चुनाव में विधायक जी अकेले अपने उमीदवार को पालिकाध्यक्ष का चुनाव कभी नही जीता पाए। उसकी वजह साफ है कि यहां की अवाम विधायक जी को विधायक और मुझे या मेरी पसंद के चेयरमैन को चाहती है। यहां के लोग दोनो को कुर्सी पर चाहते हैं।


बार बार वफादारी बदलने वाले और अफवाह फैलाने वाले लोग कभी नही कामयाब होंगे इंशा अल्लाह।
अरशद जमाल, पूर्व चेयरमैन
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