नगर पालिका में जल संरक्षण एवं सदुपयोगिता पर गोष्ठी

 
नगर पालिका में जल संरक्षण एवं सदुपयोगिता पर गोष्ठी
जल संरक्षण हमारी जिम्मेदारी, पानी से प्यार करो, भूमि नम नहीं तो बारिश नहीं, उपायों पर करते रहें काम-राजेन्द्र सिंह
जानकारी के अभाव को दूर करने हेतु सम्मेलनों, एवं गोष्ठियों पर अधिक ध्यान, समस्याओं से उबरने के लिये जागरूक जीवन जरूरी-अरशद जमाल

 

          मऊनाथ भंजन। आज नगर पालिका परिषद के मीटिंग हाल में पूर्व पालिका अध्यक्ष अरशद जमाल द्वारा भू-जल संरक्षण, जल संचय व पानी के सदुपयोग पर एक महत्वपूर्ण गोष्ठी आयोतिज की गयी। इस गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पानी के संरक्षण में अतुल्य योगदान देने के लिये ‘मैगसेसे अवार्ड’ से सम्मानित श्री राजेन्द्र सिंह एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में सच्ची मुच्ची के लेखक व मूवमेंट फार राइट्स के संयोजक श्री अरविन्द मूर्ति उपस्थित थे। इस गोष्ठी में जनपद के बुद्धिजीवियों एवं सम्भ्रांत नागरिकों ने भाग लिया।
राजस्थान से आये विश्व विख्यात जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने लोगों को सम्बोधित करते हुये कहा इस समय मैं जल संरक्षण जागरुकता को लेकर विश्व के दौरे पर हूँ। उन्होंने बताया कि टर्की में विश्व का सबसे बड़ा बाँध ‘अतरारो’ बनने के बाद सीरिया के लोगों की खेती बन्द हो गयी जो पानी के युद्ध के रूप में एक विक्राल समस्या का रूप धार चुकी है। आज आधे से ज्यादा पानी धरती के पेट से निकाला जा रहा है जबकि पानी रिचार्ज करने की व्यवस्था पर ध्यान बिल्कुल नहीं है। उन्होंने जल संरक्षण कर प्रकृति को बचाने के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा करते हुये बताया कि हम ने लोकल ज्ञान से धरती पर पानी के संरक्षण का काम किया है। कहा कि नालों के गन्दे पानी को एक जगह इकट्ठा करके सफाई के बाद इसे खेती व बागबानी के लिये प्रयोग करने व सीवर और सीवर सेपरेशन का सिद्धांत लागू करने की आवश्यकता है। बारिश के कतरों को संरक्षित करने हेतु सलाह दी। कहा कि हमें हजारों लोकल इन्जीनियर आप ही के बीच से बनाना है जिसके लिये इन्जीनियरिंग की पढा़ई जरूरी नहीं क्यों कि ये सिद्धांतों को पढ़ते नहीं सिद्धांतों को जीते हैं। श्री सिंह के अनुसार इतिहास के बदलाव के लिये 5 वर्ष, भूगोल को बदलने में 12 वर्ष तथा जलवायु को परिवर्तित होने में 36 साल लगते हैं, लेकिन प्रकृति में छेड़-छाड़ से उसाड़ व उजाड़ आते हैं। उन्होंने कहा कि नम भूमि पर ही बारिश आती है और पानी की संचित मात्रा में परिवर्तन के साथ हमारी संस्कृति, धर्ती व लोगों के चेहरों में भी बदलाव आता है। यदि हमने पानी का अनुशासित प्रयोग नहीं सीखा, जल उपयोग दक्षता नहीं बढ़ाई तो नदी सूखेगी। नदियाँ भूमि की नसों के समान हैं जिनमें जल प्रवाह से भूमि जीवित रहती है। पहले नदियों को पानीदार बनाना होगा। सजीव जमीन में ही हरियाली होती है। हरियाली के साथ ही बारिश आती है। जल संरक्षण के लिये कहीं से भी काम आरम्भ कर सम्बन्धित उपायों पर लगातार काम जारी रखना जरूरी है।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे पूर्व पालिका अध्यक्ष श्री जमाल ने कहा कि भू-जल संरक्षण उपायों को क्रिया रूप देने की प्रबल आवश्यकता है। इसके लिये अपने आप को बदलने की जरूरत है। यदि आत्म विश्वास प्रबल हो और हमारे अन्दर कुछ करने का जजबा जनून की हद तक हो तो कुछ भी किया जा सकता है। इसके लिये जानकारी की कमी को दूर करने हेतु शिक्षण संस्थाओं, सम्मेलनों एवं गोष्ठियों पर ध्यान देने की जरूरत है तभी हम जल सम्बन्धी समस्याओं से उबरने के लिये जागरूक जीवन जी पायेंगे। हम इनके आभारी हैं कि ये प्रकृति में संतुलन बनाये रखने के उपायों की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे लोग जागरूक हो कर अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी कर रहे हैं।
       समाज सेवी अरविन्द मूर्ति एवं शारदा नारायण हास्पिटल के डा0 संजय सिंह ने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि लगातार आवश्यकता से अधिक जल दोहन से जल-स्तर गिरा है। जल के सदुपयोग के साथ इसे स्वच्छ रखने का भी प्रयत्न करना चाहिये। उन्होंने कहा कि श्री सिंह ने पानी को बचाने और उसे जमीन में जज्ब कराने के बेहतरीन उपायों से पूरे विश्व को अवगत कराने में अपना बहूमुल्य योगदान दिया है।
गोष्ठी के इस अवसर पर विशेषकर मुम्ताज अहमद पेंटर, वीरेन्द्र इन्जीनियर, भरत लाल राही, इम्तेयाज नदीम, राजीव, जय प्रकाश धूमकेतु, डायरेक्टर मुरलीधर यादव, डा0 ए0के0 मिश्र, के0डी0 सिंह, डा0 शकील अहमद आदि के इलावा बड़ी संख्या में महिलाओं एवं सम्भ्रांत लोगों ने भाग लिया। गोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व पालिका अध्यक्ष अरशद जमाल ने की तथा संचालन अलतमश अंसारी ने किया।
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